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अदरक के लाभ

सौंठ (सुखी अदरक = DRY GINGER)

पीसी हुई सौंठ (सुखी अदरक) और गुड को बराबर मिला कर रख ले। ध्यान रहे सौंठ मे घुन न लगा हो और बहुत पुरानी न हो। जरा सा अदरक का रस मिला कर गोली बना लें। लगभग आधा ग्राम 2 समय गुंनगुने (कोसे) पानी से लें। धीरे धीरे बढ़ाते हुए 2 ग्राम तक ले।
इस के प्रयोग से गुल्म, उदर रोग, अर्श, सूजन, प्रमेह, श्वास, प्रतिश्याय, अलसक, अविपाक कामला, शोष, मानसिक रोग और कफ़जन्य कास रोग नष्ट होते हैं (चरक संहिता चिकित्सास्थान अध्याय 12/ 46,47 )
व्याख्या- ये साधारण सी औषधि अत्यंत प्रभावी है। अनेक बार अनुभव किया है। यदि किसी को ये औषधि लेने से गर्मी लगे, बार बार अधिक प्यास लगे, त्वचा पर चिकौटिया काटने जैसा अनुभव हो तो मात्रा कम कर दे।
1. हमेशा बने रहने वाले जुकाम की बहुत अच्छी चिकित्सा है। यदि मौसम बदलने पर जुकाम होता है तो एक महिना लेने से नजला जुकाम दूर हो जाता है।
2. छोटे बच्चे और गर्भवती महिला को भी देने के लिए सुरक्षित है। मात्रा कम दें।
3. मानसिक रोग जैसे डिप्रेशन पर अत्यंत प्रभावी है। मेरा स्वयं का अनुभव है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की मान्यता है की अदरक या सौंठ मन को प्रसन्न करती है । “Ginger is a mood enhancer, the Cineole present in ginger helps provide stress relief”
4. पूरे शरीर या कुछ हिस्से मे सूजन होने पर बहुत लाभकारी है।
5. अलसक अर्थात भोजन का पाचन बहुत धीमे होने मे लाभकारी है।
6. अविपाक अर्थात खाए हुए भोजन का न पचने की स्थिति मे भी बहुत लाभ होता है।
7. श्वास अर्थात दमा/सांस – जो दमा सर्दी और बरसात मे बढ़ जाता है और जिस दमे मे ऐसा अनुभव होता है कि छाती मे कफ भरा हुआ है उसमे बहुत फायदेमंद है।
8. शोष अर्थात बिना किसी स्थायी रोग के शरीर का सुखना।
9. कफ़जन्य कास = खांसी जिसमे बहुत अधिक कफ निकलता हो ।
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इससे सौभाग्य शुण्ठी पाक बनता है जो विशेष गुणकारी है
इसके सेवन से बल,बुद्धि,स्मृति,उत्तम वाणी,सौंन्दर्य,सुकुमारता तथा सौभाग्य की प्राप्ति होती है । माताओं के लिए यह खास वरदानस्वरूप है प्रसूति के बाद सेवन से दूध खुलकर आता है तथा संभावित कई व्याधियों से रक्षा होती है ।सर्दियों में इस पाक का विधिवत सेवन कर सभी निरोगता व दिर्घ्यायुष्य की प्राप्ति कर सकते है ।
सेवन-विधि : सुबह १० ग्राम पाक दूध के साथ ले उसके चार से छः घंटे बाद भोजन में
तीखे,खट्टे,तले हुए तथा पचने में भरी पदार्थ न लें । शाम को पुनः१० ग्राम पाक दूध के साथ लें ।
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इसे शुष्क होने से शुण्ठी, अनेक विकारों का शमन करने में समर्थ होने के कारण महौषधि, विश्व भेषज भी कहा जाता है । कच्चा कंद अद्रक नाम से घरेलू औषधि के रूप में सर्वविदित है ।
श्री भण्डारी वनौषधि चंद्रोदय में लिखते हैं कि यह शरीर संस्थान में समत्व स्थापित कर जीवनी शक्ति और रोग प्रतिरोधक सामर्थ्य को बढ़ाती है । हृदय श्वांस संस्थान से लेकर वात नाड़ी संस्थान तक यह समस्त अवयवों की विकृति को मिटाकर अव्यवस्था को दूर करती है ।

यह एक गर्म औषधि है, अतः इसका प्रयोग कुष्ठ व पीलिया रोग, शरीर में कहीं भी रक्तस्राव होने की स्थिति तथा ग्रीष्म ऋतु में नहीं किया जाना ही उचित है 

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