Skip to main content

एक 150 साल पुरानी कहानी


~~कहानी किसने लिखी पता नहीं, पर इसको फिर से लिख रहा हूँ उम्मीद है आप जवाब जरूर ढूंढेंगे।~~

पुरानी बात है लगभग कोई 150 साल पहले की है , जब लोगो में शिक्षा नहीं थी या यूँ कहे कि लोगो को पढ़ने नहीं दिया जाता था।


एक गाँव में एक अंधे पति पत्नी रहते थे। जैसे तैसे गुजरा करते थे। वक्त
गुजरा उनके घर एक लड़का पैदा हुआ। लड़के की आँखे ठीक थी। पति पत्नी बच्चे के
साथ ख़ुशी से रहने लगे।


पति पत्नी अनपढ़ थे फिर भी बच्चे को बड़े लाड
प्यार से पालने लगे। लड़का कुछ 4-5 साल का हुआ तो खुदके हाथो से रोटी खाने
लगा। अब माँ जब भी खाना बनाती तो लड़का चूल्हे के पास बैठने लगा। माँ रोटी
बनाती और लड़के की थाली में रखती।


ये क्रम चल ही रहा था कि कही से एक बिल्ला घर में आने लग गया। अंधी माँ जब लड़के की थाली में रोटी रखती तो बिल्ला ले भागता।


पति पत्नी ने विचार विमर्श किया और एक युक्ति निकाली। अब जब पत्नी खाना
बनाती तो पति दरवाजे पे बैठ जाता और हाथ में डण्डा लेकर जोर जोर से जमीन पर
मारता। बिल्ला डरने लगा और उसने घर में जाना बंद कर दिया। अंधे माँ बाप ने
लड़के को पढ़ाया लिखाया, लेकिन अंधे बाप पत्नी ने डंडे को जमीन पे मारने का
क्रम जारी रखा, क्योंकि डर था कि कहीं बिल्ला न आ जाए।


बेटा बड़ा हो
गया, कमाने के लिए शहर जाने भी लगा। पर जब भी गाँव में आता तो माँ खाना
बनाती तो बाप दरवाजे पे बैठ कर डंडे को जमीन पर मारता, और लड़का खाना खाता।



लड़का शादी लायक हुआ तो उसकी शादी शहर की लड़की से हो गयी। लड़की ससुराल में
आयी। रसोई में जाकर उसने सास के साथ खाना बनाना शुरू ही किया कि लड़का भागा
भागा आया और डंडा उठा कर दरवाजे पे बैठ गया और जोर जोर से जमीन पर मारने
लगा।


लड़के की बीबी ने देखा तो आश्चर्य से पूछा। लड़के ने उसकी बीबी
को बताया कि ये उनके घर की परंपरा है। वो ये सब बचपन से देखता आ रहा है।
लड़का अडिग की परंपरा को छोड़ा नहीं जा सकता। और आखिर में सुखद ब्राह्मणी अंत
कि अंधे माँ बाप का बेटा और उसकी पत्नी दोनों परंपरा निभाते हुए जीवन जीने
लगे।
~~~~


अब आप सोचेंगे कि सुखद ब्राह्मणी अंत कैसे। पहले तो
धन्यवाद की आपने कहानी पूरी पढ़ी। अब सुखद ब्राह्मणी अंत क्यों, तो साहब
अन्धविश्वास का जन्म सुखद सिर्फ बामण के लिए ही होता है, बाकियों के लिए तो
ये सिर्फ मूर्खता है।


आप पढ़लिख कर भी बिना सोचे जाने परम्पराओ को
ढ़ोये जा रहे है तो इसको क्या कहेंगे? क्योंकि आपने कभी किसी भी परंपरा की
वजह तो जानी नहीं होगी और कभी जानने की कोशिश भी नहीं की होगी।


क्यों मरने पर सर मुंडाया जाए?
क्यों गंगा में हड्डियों को बहाया जाए?
जीते जी जिसका ख्याल न रखा उसके स्वर्ग के टिकट के लिए क्यों कौओ को बाप बनाया जाए?



बहुत से अन्धविश्वास है जिनका तब जाने क्या मतलब होगा पर आज कोई मतलब नहीं
रह गया है। माँ बाप अंधे थे, नहीं समझ या देख पाये पर आपने क्या किया।
कहानी के मुर्ख बेटे को आप तुरंत मुर्ख बोल देंगे पर खुद के लिए एक बार भी
सोच कर देखेंगे।


सोचिये.. सिर्फ सोच कर देखिये... आखिर भगवान अल्लाह
ईश्वर आदि क्या है? उसके मंदिर मस्जिद आदि क्या है..? भगवान अल्लाह ईश्वर
आदि को पूजने से आपको क्या और कितना लाभ हुआ। और असल लाभ किसको और कितना हो
रहा है।
जवाब तलाशिये कि कहीं आप भी तो आँखों वाले अंधे की तरह डंडा तो नही पीट रहे ?
शेयर करे...

Comments

Popular posts from this blog

अविध्या क्या है

Jagatguru Rampal ji Maharaj प्र. 1: अविद्या किसे कहते हैं ? उत्तर: विपरीत जानने को अविद्या कहते हैं। प्र. 2: अविद्या का कोई उदाहरण दीजिए ? उत्तर: जड़ को चेतन मानना, ईश्वर को न मानना, अंधेरे में रस्सी को सांप समझ लेना। ये अविद्या के उदाहरण है। प्र. 3: जन्म का अर्थ क्या है ? उत्तर: शरीर को धरण करने का नाम जन्म है। प्र. 4: जन्म किसका होता है ? उत्तर: जन्म आत्मा का होता है। प्र. 5: मृत्यु किसे कहते है ? उत्तर: आत्मा के शरीर से अलग होने को मृत्यु कहते हैं। प्र. 6: जन्म क्यों होता हैं ? उत्तर: पाप-पुण्य कर्मों का फल भोगने के लिए जन्म होता है। प्र. 7: क्या जन्म-मृत्यु को रोका जा सकता है ? उत्तर: हाँ, जन्म-मृत्यु को रोका जा सकता है। प्र. 8: मुक्ति किसे कहते हैं ? उत्तर: जन्म-मृत्यु के बंधन से छूट जाना ही मुक्ति है। प्र. 9: मुक्ति किसकी होती है ? उत्तर: मुक्ति आत्मा की होती है। प्र. 10: मुक्ति में आत्मा कहाँ रहता है ? उत्तर: मुक्ति में आत्मा ईश्वर में रहता है। प्र. 11: क्या मुक्ति में आत्मा ईश्वर में मिल जाता है ? उत्तर नहीं, मुक्ति में आत्मा ईश्वर में नहीं मिलता है। प्र. 12: मुक्ति में सुख ह...

OLX पर लगाई बोली फिर मर दी गोली

उत्तर प्रदेश के आगरा में ऐसा मामला सामने आया है जिसे जानकर आप ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से की जाने वाली किसी भी तरह का लेन देन करने से पहले सावधानी बरतेंगे। दरअसल यहां के पॉश इलाके विक्टोरिया पार्क के पास शनिवार दोपहर 25 वर्षीय देवदत्त त्यागी को तीन बदमाशों ने गोली मार दी। इन बदमाशों ने ओएलएक्स पर मोबाइल का विज्ञापन देखकर देवदत्त को बुलाया था। देवदत्त  ने एक सप्ताह पहले सैमसंग ए-8 मोबाइल बेचने के लिए ओएलएक्स पर विज्ञापन दिया था। तीन दिन पहले एक युवक ने उसे फोन किया। खुद को एत्मादपुर का रहने वाला बताया। मोबाइल की कीमत लगाने के बाद उसे मिलने को कहा। जब देवदत्त विक्टोरिया पार्क पहुंचा तो काली पल्सर पर तीन बदमाश आए। उन्होंने मोबाइल देखने के बहाने अपने कब्जे में ले लिया। जब देवदत्त ने उनसे फोन के लिए भिड़ा तो उसे गोली मार दी और इसी दौरान तीन युवकों में से एक ने तमंचा निकाल कर देवदत्त को गोली मार दी। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर शापिंग करने वालों के साथ यह पहला हादसा नहीं है। इससे पहले भी कभी ऐप्पल के फोन के नाम पर ग्राहक को पैकिंग में पत्थर मिलें हैं तो कभी लैपटॉप की डिलीवरी के दौरा...

अब पांच मिनट में मिलेगा जनरल टिकट, 15 मिनट में रिजर्वेशन

नई दिल्ली। रेल मंत्रालय रेलवे स्टेशन स्टेशनों पर आधारभूत संरचना सुधारने और सेवाओं में बढ़ोत्तरी करने पर जोर दे रहा है ताकि किसी यात्री को काउंटर से टिकट खरीदने में ज्यादा से ज्यादा पांच मिनट का वक्त लगे।   अधिकारियों ने बताया कि रेल मंत्रालय का मकसद सेवाओं की समयबद्ध आपूर्ति सुनिश्चित करना है। सभी जोनों के लिए एक सिटिजन चार्टर जरूरी बनाया गया है। उन्हें सिटिजन चार्टर अपनी वेबसाइट और सभी स्टेशनों पर 15 अगस्त तक डालने को कहा गया है।   एक अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय की कोशिश यह है कि किसी यात्री को काउंटर से टिकट खरीदने में पांच मिनट से ज्यादा वक्त न लगे। उन्होंने बताया कि इसी तरह आरक्षण  के लिए हम एक समयसीमा तय कर रहे हैं। इसके लिए हमें ऐसी जगहों पर आधारभूत संरचना में सुधार करना होगा और सेवाओं में बढ़ोत्तरी करनी होगी जहां कतारें लंबी होती हैं।   मंत्रालय की ओर से जारी एक सुझावात्मक चार्टर के मुताबिक, ए-1 और ए श्रेणी के रेलवे स्टेशनों पर अधिकारियों से कहा गया है कि वे यात्रियों की शिकायतों के निपटारे में 15 मिनट से ज्यादा वक्त न लगाएं।   इसी...