दोषी कौन ?
ब्रह्मा ने वेद के ज्ञान को समझ कर ही तप पर जाकर
परमात्मा के दर्शन करने का निर्णय किया था क्योकि ब्रह्मा ने वेदों में
देखा था कि परमात्मा #साकार है ।
यदि परमात्मा निराकार होता तो #ब्रह्मा कभी भी निराकार के दर्शन करने के लिए तप पर नहीं जाते ।
ब्रह्म की कारिस्तानी छल चालाकी से आप जी सभी भगत भाई और बहिन भी परिचित ही हैं जी ।
सूक्ष्म वेद तो ब्रह्म (ब्रह्मा , विष्णु, शिव जी के पूज्य पिताजी ) ने
नष्ट ही कर दिया था जिसमें परमात्मा को पाने की सत भगति दे रक्खी थी ।
ब्रह्मा तप पर गए , वहां ब्रह्म (ब्रह्म को प्राप्त करने का सिर्फ "ओउम"
मन्त्र है ) तक की साधना की ,, ब्रह्म किसी को भी साकार रूप में दर्शन न
देने के लिए वचन बद्ध थे ।
ब्रह्मा द्वारा तप किये जाने के बाद भी
ब्रह्म ने दर्शन नहीं दिए फलस्वरूप ब्रह्मा जी ने भी वेदों में लिखित
साकार परमात्मा की जगह #निराकार मान लिया क्योकि theory से ज्यादा practical का महत्व अधिक होता है ।
ब्रह्मा जी ने अपने प्रायोगिक निष्कर्ष के आधार पर ही ""परमात्मा निराकार है"" का सिद्धांत अपने #वंशजो (#ब्राह्मण) को बताया ।
ब्रह्मा ने वेद के ज्ञान को समझ कर ही तप पर जाकर
परमात्मा के दर्शन करने का निर्णय किया था क्योकि ब्रह्मा ने वेदों में
देखा था कि परमात्मा #साकार है ।
यदि परमात्मा निराकार होता तो #ब्रह्मा कभी भी निराकार के दर्शन करने के लिए तप पर नहीं जाते ।
ब्रह्म की कारिस्तानी छल चालाकी से आप जी सभी भगत भाई और बहिन भी परिचित ही हैं जी ।
सूक्ष्म वेद तो ब्रह्म (ब्रह्मा , विष्णु, शिव जी के पूज्य पिताजी ) ने
नष्ट ही कर दिया था जिसमें परमात्मा को पाने की सत भगति दे रक्खी थी ।
ब्रह्मा तप पर गए , वहां ब्रह्म (ब्रह्म को प्राप्त करने का सिर्फ "ओउम"
मन्त्र है ) तक की साधना की ,, ब्रह्म किसी को भी साकार रूप में दर्शन न
देने के लिए वचन बद्ध थे ।
ब्रह्मा द्वारा तप किये जाने के बाद भी
ब्रह्म ने दर्शन नहीं दिए फलस्वरूप ब्रह्मा जी ने भी वेदों में लिखित
साकार परमात्मा की जगह #निराकार मान लिया क्योकि theory से ज्यादा practical का महत्व अधिक होता है ।
ब्रह्मा जी ने अपने प्रायोगिक निष्कर्ष के आधार पर ही ""परमात्मा निराकार है"" का सिद्धांत अपने #वंशजो (#ब्राह्मण) को बताया ।
कुल मिलाकर सारी गड़बड़ काल (ब्रह्म) ने की है ब्रह्मा जी को भर्मित करके ,,, नहीं तो ब्रह्मा ने सबसे पहले जब वेदों को पढ़ा तो उसमें #परमात्मा #साकार ही लिखा हुआ था ।
वेदों में ब्रह्म की #चालाकी से परमात्मा के गुण तो ज्यों की त्यों लिखे हैं , लेकिन साधना ब्रह्म तक की ही है ।
ब्रह्म जानते थे कि यदि परमात्मा की सच्ची सत साधना मेरे बड़े पुत्र
ब्रह्मा को पता चल गयी तो फिर मैंने काफी मेहनत के बाद जिन आत्माओं को अपने
लोक में लेकर आया हूँ तो फिर वो वापस सतसाधना से सतलोक चली जायेगी , फिर
मैं अपने पिता(#पूर्णब्रह्म_कबीर_साहेब ) के #श्राप बस अपना #पेट #1_लाख_मानव_जीवो को #तपाकर कैसे भरूँगा।
यही सोचकर ब्रह्म ने ब्रह्मा जी को #भर्मित कर दिया ।
निष्कर्ष - यदि गहराई से सोचो तो असली दोषी यह ब्रह्म है , ब्रह्मा जी नहीं ।
ब्रह्म से भी अधिक दोषी हम अभी सभी हंस आत्माएं हैं जो अपने पूर्णब्रह्म कबीर पिता से बिछुड़कर इस काल के झूठे लोको (#21_ब्रह्माण्ड ) में आ गए !!
दोष किसी भी जाति या धर्म विशेष का नहीं , दोष तो सारा हम सभी जीव आत्माओं का ही है ।
ब्रह्मा ने वेदों का अर्थ शुरू शुरू में सही निकाला था मगर ब्रह्म ने चालाकी से ब्रह्मा को #भर्मित कर दिया ।
शिष्य वही ज्ञान देगा जो उसके गुरु ने दिया ,,, ब्रह्म द्वारा भर्मित ज्ञान ब्रह्मा ने अपने वंशजो को दिया तो फिर #ब्राह्मणों(ब्रह्मा के वंशज) ने भी (परमात्मा निराकर है ) ज्ञान अपनी #पीढ़ियों को दिया जी ।
अब आप ही बताओ असली #दोषी कौन हुआ ??
#बंदीछोड़_जगतगुरु_तत्वदर्शी_संत_रामपाल_जी_साहेब_जी ने तो सर्व पवित्र शास्त्रो का ज्ञान सही अर्थो में समझा कर सर्व संगत को #कृतार्थ कर दिया लेकिन मुझे #दुःख इस बात का अधिक होता कि अभी #ब्राह्मण की तो बात ही छोड़ो अन्य #सभी_जातियों की ज्यादातर आत्माएं भी इस #सत्य को मानने को तैयार नहीं हो रही हैं जी ।
" ज्ञान को न मानना , सत्य को स्वीकार न करना" -->>
इसमें किसका दोष है ????
जबकि सभी #पवित्र_धर्म_गर्न्थो के प्रमाण हमारे सामने ही हैं ।
सत साहेब जी
सत साहेब
वेदों में ब्रह्म की #चालाकी से परमात्मा के गुण तो ज्यों की त्यों लिखे हैं , लेकिन साधना ब्रह्म तक की ही है ।
ब्रह्म जानते थे कि यदि परमात्मा की सच्ची सत साधना मेरे बड़े पुत्र
ब्रह्मा को पता चल गयी तो फिर मैंने काफी मेहनत के बाद जिन आत्माओं को अपने
लोक में लेकर आया हूँ तो फिर वो वापस सतसाधना से सतलोक चली जायेगी , फिर
मैं अपने पिता(#पूर्णब्रह्म_कबीर_साहेब ) के #श्राप बस अपना #पेट #1_लाख_मानव_जीवो को #तपाकर कैसे भरूँगा।
यही सोचकर ब्रह्म ने ब्रह्मा जी को #भर्मित कर दिया ।
निष्कर्ष - यदि गहराई से सोचो तो असली दोषी यह ब्रह्म है , ब्रह्मा जी नहीं ।
ब्रह्म से भी अधिक दोषी हम अभी सभी हंस आत्माएं हैं जो अपने पूर्णब्रह्म कबीर पिता से बिछुड़कर इस काल के झूठे लोको (#21_ब्रह्माण्ड ) में आ गए !!
दोष किसी भी जाति या धर्म विशेष का नहीं , दोष तो सारा हम सभी जीव आत्माओं का ही है ।
ब्रह्मा ने वेदों का अर्थ शुरू शुरू में सही निकाला था मगर ब्रह्म ने चालाकी से ब्रह्मा को #भर्मित कर दिया ।
शिष्य वही ज्ञान देगा जो उसके गुरु ने दिया ,,, ब्रह्म द्वारा भर्मित ज्ञान ब्रह्मा ने अपने वंशजो को दिया तो फिर #ब्राह्मणों(ब्रह्मा के वंशज) ने भी (परमात्मा निराकर है ) ज्ञान अपनी #पीढ़ियों को दिया जी ।
अब आप ही बताओ असली #दोषी कौन हुआ ??
#बंदीछोड़_जगतगुरु_तत्वदर्शी_संत_रामपाल_जी_साहेब_जी ने तो सर्व पवित्र शास्त्रो का ज्ञान सही अर्थो में समझा कर सर्व संगत को #कृतार्थ कर दिया लेकिन मुझे #दुःख इस बात का अधिक होता कि अभी #ब्राह्मण की तो बात ही छोड़ो अन्य #सभी_जातियों की ज्यादातर आत्माएं भी इस #सत्य को मानने को तैयार नहीं हो रही हैं जी ।
" ज्ञान को न मानना , सत्य को स्वीकार न करना" -->>
इसमें किसका दोष है ????
जबकि सभी #पवित्र_धर्म_गर्न्थो के प्रमाण हमारे सामने ही हैं ।
सत साहेब जी
सत साहेब
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